Monday, May 31, 2021

मुलाकात

शाम हुई है जरूर रात भी होगी 
कभी न कभी जरूर बात भी होगी
आप लम्हों में सुकून ढूंढते चलिए 
होगी किस्मत तो मुलाकात भी होगी

Sunday, May 30, 2021

kya kahna chahte ho

बातें बनाते हो फिर भुलाते हो
चाहते हो पर चुप रह जाते हो  
कुछ लिखते हो फिर मिटाते हो
वो क्या है जो कहना चाहते हो

Saturday, May 29, 2021

We are what we eat

We are what we eat ... 

If I don't like what you eat, 
Will I still like you ? 

खुद का गहरा यार

एक त्रिकोण कई चतुर्भुज हैं
नहीं कोई सरल रेखा है 
तुम्हारे अंदर मैने झांका है 
बहुत करीब से देखा है 

कई बार तुमसे सुनी है
दिलचस्प तुम्हारी कहानी है
पर कभी कभी लगता है
उलझाई हुई जिंदगानी है

जज्बा है और बेशक सुरूर है 
कुछ मुद्दों में तो पूरा फितूर है
मजबूर रिश्तों की हद भी है 
और उनमें जद्दोजहद भी है

खयालों की आंच में तप रहे हो 
नातों की मिट्टी में खप रहे हो
आज कीमती तो कल बेकार हैं
वफाएं तो बस एक किरदार हैं 

मुझे वाकई तुम्हारी परवाह है
इसीलिए मेरी एक सलाह है 
खुशियों को कहीं मत खोजो
मिलेगा जब चाहिए तुम्हे जो जो 

बस करो अपने आप से प्यार 
बनो खुद के सबसे गहरे यार
दिल है तुम्हारा बेशकीमती 
मत होने दो इसको तार तार

30 मई 21


बारिशें

बादल, बारिशें, हवाएं, आंधियां

कुछ कागज़ और कुछ कलाम,

हम खुद से घिरे बैठे हैं,

न किसी से दुआ न कोई सलाम

Friday, May 28, 2021

किरदार

/// किरदार ///

निगाहें तैश ज़ुबां से गरम
मेरी जिंदगी का बस मैं सरगना था 
ना रहबर की ख्वाहिश, किसी की ना परवाह
मेरी कायनात थी और मैं ही खुदा था 

महफ़िल में मेरे मवादों की फेहरिस्त 
वो धुआं सा सबके दिलों से था आता 
मेरी अशर्फियों की गिनती कभी थी न रुकती
मेरी कायनात थी और मैं ही खुदा था

एक जलती दुपहरी में उनींदा सा था मैं 
पर वो शख्स मुझसे कुछ कहने लगा था
मेरी दमकती फेहरिस्त तैयार थी 
मेरी कायनात थी और मैं ही खुदा था 

वो कहने लगा मैं तेरा ही हूं 
तेरी असलियत नहीं बस किरदार हूं 
तू जिसे समझता है तेरी ताकतें है
बस खुदा की नवाजी नेयामतें हैं 

तुझे उसने भेजा है ये उसकी है दुनिया 
तू है महज इक जिम्मे का लिफाफा 
तू घमंड में है इतना क्यों बहता
तू इंसान था काश इंसान ही रहता

कभी है तू खादिम कभी है वली तू 
मगरूरियत की फिर क्यों है हिमाकत
बना कांधा किसी के सफर का तू जैसे 
तुझे होगी एक दिन कांधे की जरूरत 

बस किरदार का तू ये इस्तेमाल कर 
कि हर चेहरा तुझसे खुशी पाएगा 
पर मुझे तेरे लहू में मिलने न दे 
वरना तेरा सच कहीं गुम जाएगा 

तेरे चाहने वाले तेरा सच चाहते हैं 
तेरा किरदार इनसे अंजान है 
उसे दूर रहने ही दे हर मोड़ पर
तेरे चाहने वालों का ताररूफ न कर

ये बोलकर वो किरदार विदा हो गया 
मगर ज़ख्म दिल के सारे भर कर गया 
ये जतला गया जिंदगी के लिए
न मेरी कायनात थी और न मैं खुदा था

Penned by me in Pune on 29 Mar 21

सफर खुद की तलाश का

न अक्स हूं न सच्चाई 
न असलियत न परछाई
न हूं सवालों का जवाब 
न ही बीते लम्हों का हिसाब 

अपनी रूह को टटोलो
बंद मुट्ठी को मत खोलो 
पलकों के परदे गिराओ 
और खुद में समा जाओ 

तुम्हारे अंदर इक जहां है 
मेले का मंजर वहां है 
उस जहां में सब पास है 
हकीकत नहीं एहसास है 

ज़ेहन में जो सोचोगे
बस वही हर पल देखोगे 
तुम्हारे दिल में जो खास है 
उस दुनिया में वो पास है

हर शख्स अपने सफर में है
कहीं शाम कहीं दोपहर है 
ये सफर खुद की तलाश का 
कभी यकीं का कभी काश का

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 21 मई 21


21 May 21 

शुरुआत में पतीली में गर्म पानी 
वैसे ही बचपन से शुरू हो जिंदगानी 
थोड़ी चीनी डालो तो बढ़े मिठास 
और उम्र बढ़े तो सीखो रखना आस

फिर चाय को पत्तियों को पानी में उबालना 
जिंदगी में आगे बढ़ना और सब को संभालना
मिलाना उसमें इलायची के दानों का प्यार  
जैसे होते हैं दिल के करीब सारे दोस्त यार 

अब चाहे मिलाओ दूध या पी लो चाय काली
और खुशियों से भर लो जिंदगी की प्याली 
ये प्याली, उसमें चाय और उठती गर्म भाप 
पीते रहें और खुश रहें हरपल हरदम आप 

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के शुभ अवसर पर सभी चाय मित्रों को समर्पित 

Attitude of ordinary people - "be positive"

Attitude of extraordinary people - "tea positive" 

बोहेमिया

आज चांद हुआ हमारा गवाह
गुजरे वक्त के मेरे गुनाह
तूने भी किए अल्फाजों के सितम 
मैं चुप रहा, मेरा दोस्त है तेरा सनम 

मेरी ख्वाहिशें मेरे अरमान 
उनमें था एक गुलिस्तान 
पर तूने कहा बोहेमिया 
ना जाने क्या क्या किया 

मगर ये था मेरा कुसूर 
मुझे चाहिए था पैसा जरूर 
मगर अब मेरी आंखें खुली 
खिलने दूंगा तेरे ख्वाबों की कली 

मैं आता रहूंगा यहां अक्सर 
पर तुझे जो चाहिए तू वैसा कर 
मगर मेरी सिर्फ एक गुजारिश है 
मेरा अरमान है मेरी ख्वाहिश है 

इस खूबसूरत जमीन पर जो बाग हैं
वो कल नहीं थे, वो अब आज हैं 
इनकी जड़ों में है मेरा पसीना 
इन्हे हमेशा महफूज रखना

Wish I could tell you !

Wish, I could tell you ! 

I love you the way you are 
I dont see any cuts or scar 
Your smile is the best ornament
But your makeup is a predicament

I like you touch, soft n silky 
Your skin tone is smooth milky
Dont ruin it's reputation
By applying the Foundation

Your eyes are dark and so so deep
They carry the promises that you keep 
Their picture is sweet visceral
But Mascara makes them unnatural

Your lips are pink and simply divine 
Belong to none, they are only mine 
Speak to me even when quiet 
But lipstick makes them sit uptight 

Your lovely and chubby Cheeks 
They have natural pink brush 
They why do you need to go for
50 shades of powder and blush ! 

O lady ! O beautiful lady ! 
Just stay sweet and always real 
Your womanhood is true makeup 
Not Maybelline, Lakme or L'oreal

तोहफा

बस तजुर्बे अहसास और बेदाग वफा

मत नवाज़ो मुझे कोई और तोहफा 

खूबसूरत मौसम

दिल खुश रहता है मेरा
फिर चाहे जो भी हो मंजर 
चाहे खुला खुला आसमां 
या फिर पतली संकरी डगर 

शाम के चढ़ते साए में 
दिखा बादलों का एक सफर 
मिला कागजों का पुलिंदा
जिस पे गई मेरी कलम ठहर 

बादलों की थी वो अठखेलियां 
तो किसी को सावन की रुसवाइयां 
कहीं खरीफ की परेशानियां 
कहीं इश्क की गुलजारियां

मौसम खूबसूरत गीत खुशनुमा 
ठंडी हैं हवाएं ख्याल जहांनुमा

इंसान की फितरत

इंसान की फितरत 

जब रास्ते खुले से थे 
वादियां बुलाती थीं
वो यूं ही दुबका रहता था 
रजाईयां सुलाती थीं

अब फैला धुआं सा है 
राहें हुई सभी वीरान 
छटपटा रहा सा है
खुद की कैद में इंसान

बादल

बादल 

यहां पे सूरज आता था 
सूर्यमुखी को भाता था 
मेरी प्यारी बगियों में 
भंवरा गाना गाता था  

बागियों में होती थी गुनगुन
फूलों के झूले खिलते थे 
दाना चुगने को उड़ते थे फिर
पेड़ों पर पंछी मिलते थे 

पूरब से हवाएं आने लगीं
पश्चिम में घटाएं छाने लगी 
शाखें और पत्ते लहराए 
कुछ सिमट गए कुछ घबराए 

फिर हवाएं कुछ और बढ़ीं 
उनकी भृकुटियां कुछ और चढ़ीं 
शाखें भर्रा के टूट गई 
पेड़ों की किस्मत फूट गई 

कुछ बूंदें आई इतरा के 
मेरी बगिया में खुद सजने लगीं
उन्हें रोकेगा अब कौन भला
मेरी टूटी छप्पर बजने लगी 

बादल तुम क्यों आते हो
सावन को क्यों लाते हो 
मेरी यादों के शीशों के
टुकड़े करते जाते हो 

यादें मेरी उन गलियों की
जहां बारिश आती जाती थी 
होती थीं नजरों में बातें 
मेरा छज्जा उसकी खिड़की थी

Matrix

पसरा हुआ चहुं ओर तिलिस्म 
मेरी रूह है या फकत जिस्म 
अंधेरों में छिपे हैं उजाले 
या उजालों में अंधेरा जले 

जो दिख रहा वो मेरा अक्स है 
या आईने में कोई और शख्स है 
Confusion ka risk है 
Real है या मैट्रिक्स है 

🙄🙄🙄

शेर सुनाया बकरी दिखाई
क्या गलत क्या सही है 
न खाता न कोई बही है 
बस दिमाग का दही है

मैं कौन हूं ... 21 अप्रैल 21

मैंने अपने अंदर खुद को छुपा रखा है 
लोगों के लिए दर पे किरदार बिठा रखा है 
अपना सब कुछ ढो के चलता हूं राहों पे 
पर कोई देखे तो बस आईना ही उन्हें दिखा है

कौन हैं हम क्या है हमारी असलियत
कौनसी है चाहतें और कैसी है नीयत
क्यों नहीं आती सामने हमारी सच्चाई
कौन सी है बुराई और कौनसी है अच्छाई

शायद यही है इन गहरे सवालों का जवाब 
कि हमारी पहचान है जैसे की पैमाने में शराब 
आप अगर मानो तो है बस थोड़ा सा पानी
और या तो मानो है ये ज़िंदगी की रवानी 

सौ सौ तजुर्बों से लाया निचोड़ कर मेरा वजूद 
कई किस्से दर्द भरे तो कई किस्से बहुत खूब 
इन तजुर्बों में छिपे चेहरे, जज़्बात और इंकलाब
कुछ हैं परदे में और कुछ बिलकुल बेनकाब

परत दर परत साल दर साल मानो एक प्याज 
तजुर्बे थे कुछ कल के तो कुछ हुए बस आज 
परत उतरते देख लगेगा नकाब सरकती है  
पर हर परत के पीछे एक और परत सिमटती है 

मैं खुद परतों के नशे में कुछ ख्वाब बुनता हूं
मेरे सच को सच में अपनेआप ढूंढता हूं 
मगर नहीं पाया खुद की गहराइयों को अब तक मैने 
बस कभी डोलता हूं तो कभी झूमता हूं

कलम ... 21 अप्रैल 21

कलम मानो उनके इंतजार में थी 
स्याही बस उनके लिए बेकरार थी 
अल्फाज बरस पड़ना चाहते थे उतर के कागज पे
और उनकी जिंदगी को एक वजह की दरकार थी 

सिमट कर रखे थे बंद गलियारों में ख्याल
बेचैनियां पल में तोला पल में माशा 
पर जब आया वक्त जज्बातों के दरवाजों का 
वो लहरा पड़े खुलने को बेतहाशा 

आते गए फिर उनके कलाम दर कलाम
किसी में छुपा सच किसी में बस सलाम 
यही मेरी दुआ है तुझ से ऐ अल्ला ताला 
उनकी कागज कलम रहे यूं जैसे मोती और माला

कुनकुने दिन ... 19 अप्रैल 21

कमोबेश वही कुनकुने दिन 
गर्मी बहुत और पेड़ थे पत्तों के बिन 
मिलती थी निगाहें धधकते थे दिल 
करना था एक दूजे को हासिल 

सिलसिला ये चलता था 
सुबह से शामो सहर 
थे उनकी नजर में 
और हमारी वो आठों पहर 

वक्त की करवटों में 
सफर यूं ही चलता चला
पर फिर एक खत लिखा मोहब्बतों भरा 
और थम गया सिलसिला 

बरस बीते मौसम गुजरे
और वक्त बहता गया 
हमारा रिश्ता भी कुछ यूंही 
जुदाई को सहता गया 

मगर इत्तेफाक से भरे मोड़ पर 
दिल से दिल को जोड़ कर
किस्मत हमारी थी सोचती 
कैसे फिर करवाएं दोस्ती 

मुलाकाते हुईं दोस्ताने बढ़े 
एक दूजे की नजरों में फिर से चढ़े 
किस्से सुनाई कहानियां सुनी 
खुशियां सुनाई परेशानियां सुनी 

कमोबेश वही कुनकुने दिन 
गर्मी बहुत और पेड़ हैं पत्तों के बिन 
मिलती हैं तासीर जुड़े हैं दिल 
दोस्ती हुई जवां मिल गई मंज़िल 

बेहतरीन खुशगवार खूबसूरत मौसम में एक बेहद स्याह रात में टिमटिमाती चांदनी की रोशनी में बैठकर के लिखे हुए लम्हों में छुपी हुई है हजार मुबारक और लाखों दुआएं ... अल्लाह ताला आपको और आपके सारे चाहने वालों को खुशियों से नवाजे 🙏🏻

अर्जुन ... 11 अप्रैल 21

युद्धों का ये महाक्षेत्र है, करो नमन ये धर्मक्षेत्र है 
यहां देव पिशाच का भूमि मंथन, कुरुक्षेत्र ये कुरुक्षेत्र है 

लेकर हृदय दया से आर्द्र, नतमस्तक हुए स्वयं पार्थ 
गांडीव त्याग कर ससम्मान, प्रार्थना में बोले "हे श्याम"

"प्रभुवर मेरी याचना है, धर्म की ये विस्थापना है
असमर्थ हूं शक्तिहीन हूं, कृपा करो मैं मतिहीन हूं" 

चक्रधारी हैं प्रकांड विद्वान, लाए मुख पर एक मुस्कान 
दिया धर्म का वो उपदेश, पार्थ हो गए भावावेश 

यह उपदेश गीता का है, कर्तव्य ही माता और पिता है 
जो मानव है और सजीव है, वो अर्जुन और कर्म गांडीव है

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जाम

बेशक गला गीला करो 
जामों का सिलसिला करो 
शिकवा करो गिला करो
अपने गमों को रुसवा करो

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