मैं लिखता हूं किसके लिए लिए
मैं लिखता हूं किसके लिए
लिए दिल में यादों के दिए
वो कहां गए किधर गए
वो दूर गए वो बिखर गए
छोड़ गए मुझे किसके साथ
न कोई सहारा न कोई हाथ
लहरें हैं में घिरा हुआ हूं
अंधेरी में डरा हुआ हूं
जान अटकी हलक में है
मायूसी सी फलक में है
कोई नहीं मुझे जानने वाला
थामने वाला पहचानने वाला
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