खुद का गहरा यार
एक त्रिकोण कई चतुर्भुज हैं
नहीं कोई सरल रेखा है
तुम्हारे अंदर मैने झांका है
बहुत करीब से देखा है
कई बार तुमसे सुनी है
दिलचस्प तुम्हारी कहानी है
पर कभी कभी लगता है
उलझाई हुई जिंदगानी है
जज्बा है और बेशक सुरूर है
कुछ मुद्दों में तो पूरा फितूर है
मजबूर रिश्तों की हद भी है
और उनमें जद्दोजहद भी है
खयालों की आंच में तप रहे हो
नातों की मिट्टी में खप रहे हो
आज कीमती तो कल बेकार हैं
वफाएं तो बस एक किरदार हैं
मुझे वाकई तुम्हारी परवाह है
इसीलिए मेरी एक सलाह है
खुशियों को कहीं मत खोजो
मिलेगा जब चाहिए तुम्हे जो जो
बस करो अपने आप से प्यार
बनो खुद के सबसे गहरे यार
दिल है तुम्हारा बेशकीमती
मत होने दो इसको तार तार
30 मई 21
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