Tuesday, September 07, 2021

रिश्ते नाते

क्यूं हो गए इतने दूर 
क्यूं हो गए इतने सख्त
तुम्हारे मेरे बीच में 
क्या फतह क्या शिकस्त 

या खुदा तू ही बता 
क्यूं हूं मैं हौसला परस्त
आंधियों में उखड़ गया
रिश्ते नाते का दरख़्त

Another reply to फिलहाल

तेरे तोहफ़े मेरे संग, यादें दिलवाते हैं 
पायल बिंदिया कंगन, बस तुझे बुलाते हैं 

तूने पहनाई जो चुनरी, लहराना भूल गई
चाहे धूप हो जोरों की या सावन आते हैं 

मेरे ख्वाबों का रंग, काला काला सा है
दिल और दर्द का जोड़ा, मोती माला सा है

चाहे कोई मौसम हो, मुझे तन्हा लगता है 
मेरी पतंग नहीं उड़ती बस मांझा कटता है

आंसू भी सूख गए पर प्यास नहीं बुझती 
अब शाम के साए में मेरी सेज नहीं सजती 

मैं तुझे बुलाती हूं जब सांसें रुकती हैं 
हर आहट पर बस पलकें उठती हैं

तेरी साजिश है कैसी, तू कहां गया है गुम 
जिंदा तो हूं पर मैं लगती हूं अब मरहूम

मुझे हारना नहीं आता है

मुझे हारना नहीं आता है

मैं थकता हूं मैं पिटता हूं 
सोती रातों में मैं जगता हूं
बस फतह से मेरा नाता है 
मुझे हारना नहीं आता है

खून बहे या बहे पसीना 
चौड़ा हरदम अपना सीना
बस जीतना मुझे भाता है
मुझे हारना नहीं आता है 

मुझे तोड़ो मुझे मोड़ो 
चाहे दम भर कर फोड़ो
दिल हर पल ये गाता है 
मुझे हारना नहीं आता है

फेंको भाला चलाओ कृपाण
या धनुष से बाण पर बाण
मेरा इंद्रधनुषी छाता है
मुझे हारना नहीं आता है

Reply to Filhaal

[8/19, 22:25] ND: इक बात कहूं तुमसे 
कहने से डरता हूं 
टूटे दिल की बातें 
बस खुद से करता हूं 

तुम जान थे बस मेरी 
और मुझे चाहते थे 
अब दूर गए हो तुम 
कभी पास बुलाते थे 

क्यों ऐसा किया तुमने 
क्या मेरी गलती थी 
दिल में जान नहीं मेरे 
तुम्हारी सांसें मिलती थी

तुम पास में रहते थे
रोजाना मिलते थे 
अब यादों में रहते हो 
पर पास नहीं मेरे 

कोई बुरी नजर होगी
जो दूर गए हो तुम 
कब लौट के आओगे 
कब बनेंगे फिर हमतुम
[8/19, 22:50] ND: बस एक गुजारिश है 
यादों में तो रहना 
गम तेरी जुदाई का
मुझे और नहीं सहना 

बस एक तमन्ना है 
उसे प्यार तो कर लेना 
औलाद जो आ जाए 
बस नाम मेरा रखना 

दिल खून से है जख्मी 
कोई जन्नत लूट गया
मुझे कौन संभालेगा
वो कांधा छूट गया 

एक मन्नत थी मेरी 
कोई जुदा करे न हमें 
अब एक सबक सीखा 
कोई मन्नत न मांगे 

तेरी लौ में जलता हूं 
बनता दिल में मेरे धुआं 
गम से भी हो गहरा 
दर्द का काला काला कुआं